Former President of India : Pranab Mukherjee
भारत की आत्मा बहुलवाद और सहिष्णुता में रहती है। यह बहुलता सदियों से विचारों को आत्मसात करने के साथ आई। धर्मनिरपेक्षता हमारे लिए आस्था का विषय है। - प्रणब मुखर्जी - Soul of India resides in pluralism and tolerance. This plurality came with assimilation of ideas over centuries. Secularism is a matter of faith for us. - Pranab Mukherjee -